सच वही जो हम कहें, कहते हैं आप
हमारी बात सब सुनें, कहते हैं आप
ये कैसा शोर है गलियों में आजकल
सब सी लें होंठ, चुप रहें, कहते हैं आप
आपका तो ज़ुल्म भी है नेमत हुज़ूर
शुक्रिया हम अता करें, कहते हैं आप
आपका हर लफ्ज़ है पत्थर की लकीर
सर झुका के मान लें, कहते हैं आप
जो हो खिलाफ़ उसको काट दीजिए
फिर कभी ना सर उठे, कहते हैं आप