एक नया क़िस्सा बनेगा, मुझे छू के देखो ना
महफ़िल में हंगामा मचेगा, मुझे छू के देखो ना
बात सिर्फ़ बदन की नहीं, प्यासी मेरी रूह भी है
क्या अब भी कहना पड़ेगा मुझे छू के देखो ना
यक़ीं पे क़ायम है दुनिया, तुम भी तो यक़ीं करो
शायद गया वक़्त लौटेगा मुझे छू के देखो ना
कोई वादा नहीं फिर भी इंतज़ार है उस दिन का
जब वो भी मुझसे कहेगा मुझे छू के देखो ना
चार दिन थे ज़िंदगी के, काटे इंतज़ार में मैंने
वक़्त मौत का भी टलेगा मुझे छू के देखो ना