लगाओ गले से

कोई दिल टूट जाए तो लगाओ गले से
कोई गर रूठ जाए तो लगाओ गले से

जो गले लगे उसे ना छोड़ो कभी मगर
कोई दामन छुड़ाए तो लगाओ गले से

मैंने ये सबक़ सीखा है बुद्ध से, ईसा से
कोई पत्थर बरसाए तो लगाओ गले से

ज़माने का क्या है, ये नाराज़ ही रहेगा
कोई दोस्ती बढ़ाए तो लगाओ गले से

ख़्वाब की ता’बीर ख़्वाब में नहीं होगी
कोई नींद से जगाए तो लगाओ गले से

हँसते चेहरों को अपने मुक़ाबिल रखो
कोई तुमको रुलाए तो लगाओ गले से

है तख़्त-ओ-ताज की तारीफ़ आम “ओझल”
कोई आईना दिखाए तो लगाओ गले से

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