आज फिर वस्ल की चंद मोहलत माँगें
आओ चाँदनी से इसकी इजाज़त माँगें
अपनी आने वाली तारीक ज़िंदगी के लिए
आओ जुगनुओं से थोड़ी जगमगाहट माँगें
वक़्त की हवा का सामना करने के लिए
आओ बुझते चिराग़ों की थरथराहट माँगें
कुछ ज़ख़्म हैं जो शायद भरने से लगे हैं
आओ यार से कोई नई शिकायत माँगें
फिर पाँव के नीचे जमने सी लगी है धूल
आओ तितलियों से ज़रा सी वहशत माँगें
चलो अपने जवाँ इरादों को आज़मायें
आओ एक-दूसरे को छूने की हिम्मत माँगें
दुनिया बदलने को बेताब है हर शख़्स
आओ ख़ुद को बदलने की क़ुव्वत माँगें
अपनों के प्यार को आज़मा के देख लिया
आओ अब दुश्मनों से भी मुहब्बत माँगें
क़ब्र पे खड़ा हो मेरा क़ातिल सर झुकाए
आओ इक ज़िंदगी ऐसी ख़ूबसूरत माँगें