ये ठोकर आख़िरी हो ऐसा भी हो सकता है
मंज़िल यहीं कहीं हो ऐसा भी हो सकता है
सलाम करता है बहुत झुक झुक के सबको
ये झूठी आजिज़ी हो ऐसा भी हो सकता है
हर मुस्कुराता चेहरा दोस्त नहीं होता मेरे दोस्त
तुमपे छाई बे-ख़ुदी हो ऐसा भी हो सकता है
एक ज़िंदगी बसर की है मैंने उसके साथ मगर
वो फिर भी अजनबी हो ऐसा भी हो सकता है
पहली मुलाक़ात में मुझे सीने से यूँ लगाना तेरा
कोई रक़म पेशगी हो ऐसा भी हो सकता है
मेरी किसी बात पे इंकार नहीं करती है लेकिन
वो कुछ और चाहती हो ऐसा भी हो सकता है
थकन से मर ही जायें मगर अगले मोड़ से कहीं
हमें ज़िंदगी पुकारती हो ऐसा भी हो सकता है