हर आँख के तारे थे, ऐसा भी ज़माना था
और वो भी हमारे थे, ऐसा भी ज़माना था
इक छोटी सी हँसी को सालों-साल तड़पते हैं
खिलते होंठ हमारे थे, ऐसा भी ज़माना था
एक ये दिन जब कोई उम्मीद नज़र नहीं आती
ढेरों ख़्वाब हमारे थे, ऐसा भी ज़माना था
अब तो ईद तुम्हारी, हमारी दिवाली मनती है
सारे त्योहार हमारे थे, ऐसा भी ज़माना था
आँखों में नदियाँ बहतीं, दिल में है तूफ़ाँ भरा
सारे घाट हमारे थे, ऐसा भी ज़माना था
“आप सभी को दीपावली एवं बाल दिवस की ढेरों शुभकामनाएं”