बादल

सुबह सवेरे घिर आए बादल
जाने कहां से फिर आए बादल

आज फिर सोच रहा था तुमको
आज आंख में फिर आए बादल

सारे ज़माने का सफर कर के
जैसे घर मुहाजिर आए बादल

धूप से जलने लगा था बदन
मुझे बुझाने खातिर आए बादल

तरसती नजरों ने आस छोड़ दी
बाद उसके नज़र आए बादल

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