आइए गम और खुशी बांट लें
मिल जाएं और ज़िंदगी बांट लें
क्या ज़रूरी है कहना हर बात
कभी तो हम खामुशी बांट लें
ना सही मयस्सर साथ रातों में
जलते सूरज की गरमी बांट लें
सुनाएंगे उदासी के किस्से कल
आज की शब शायरी बांट लें
रख दीजिए होठों पे होंठ अपने
बढ़ गई है बहुत तिश्नगी बांट लें
है दौलत अगर तो बांटिए उसको
हैं मुफ़्लिस तो मुफ़्लिसी बांट लें
बांट लें जो भी हो हसीं हम में
बा’द उसके सारी गंदगी बांट लें
मायूस तन्हा कोई मिले, तो आप
हो सके तो थोड़ी दोस्ती बांट लें
गर तीरगी है तो तीरगी बांट लें
नहीं तो अपनी रौशनी बांट लें