ऐ काश मुझसे ही बचा ले मुझको
गिर रहा हूँ कोई तो सम्भाले मुझको
तेरी ख़ुशबू ने भुला दी तर्क-ए-वफ़ा
मैं चाहता हूँ तू फिर दगा दे मुझको
अपने होंठ मेरी आँखों पे रख के तू
ग़ुस्ताख़ निगाहों का सिला दे मुझको
मैं चिराग़ हूँ अपनी माँ की उम्मीदों का
ज़ोर किस आँधी में बुझा दे मुझको
मैं एक दरिया हूँ, मेरी मंज़िल है समंदर
तू समंदर है तो मेरा पता दे मुझको