बहुत

सुना है उसके चाहने वाले यहां हैं बहुत
सुना है वो भी मेरी तरह अकेला है बहुत

सोचा है हमने इश्क न करेंगे किसी से
सुना है दिल के खेल में झमेला है बहुत

तन्हाई में भी चली आती हैं यादें तुम्हारी
सुना है शायद इन्होंने यहां मेला है बहुत

उसको क्या खौफ़ होगा मौत का अपनी
ज़ीस्त की चोटों को जिसने झेला है बहुत

मुझे डर है ये दरिया सूख ना जाए कहीं
देखो गौर से किनारों पर गीला है बहुत

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