बुझे हुए चरागों में शायद थोड़ी आग बाक़ी है
दिल के कोने में अभी भी कोई आस बाक़ी है
तुम्हारी यादों से महकता है घर का हर कोना
दीवाली बीत गयी दियों की उजास बाक़ी है
बताओ मैं उसका सोग मनाऊँ या इनका जश्न
कुछ आम था जो बीत गया कुछ ख़ास बाक़ी है
बुझी हुई राख को कुरेद कर देखो तो सही
शायद किसी लाश में कोई साँस बाक़ी है
रात तुम्हारी ख़ुशबू ने मुझे जगाया फिर से
लगता है जैसे दिल में कोई विश्वास बाक़ी है