मन छोड़ अंधेरों की छांव चल
चल आज रौशनी के गांव चल
कोई रास्ता ना दे दिखाई तुझे
तू रख के बादलों पे पांव चल
वक्त से जीत सका कौन यहां
तू फिर भी मगर इक दांव चल
मन छोड़ अंधेरों की छांव चल
चल आज रौशनी के गांव चल
कोई रास्ता ना दे दिखाई तुझे
तू रख के बादलों पे पांव चल
वक्त से जीत सका कौन यहां
तू फिर भी मगर इक दांव चल