ये मिट्टी चाक से उतर आए तो चलूं
टूटती हुई सांस जो थम जाए तो चलूं
कलियां चटकी, खुशबू फैली, हवा चली
ऐसे मौसम में तू भी मुस्काए तो चलूं
बैठा हूं तेरी राह में यही चाह लिए
तू पास आए, गले लग जाए तो चलूं
मेरी तन्हाइयों में चीखती है खामोशी
कोई सदा किसी ओर से आए तो चलूं
आया था चंद रोज़ को इस महफ़िल में
काम लिखा था कुछ, हो जाए तो चलूं