बड़ी पुरानी बात है
यहां से बहुत दूर
एक नदिया बहती थी
उस नदिया के तट पर
एक छोटा सा गांव था।
दूर नदी के तट पर
जो छोटा सा गांव था
उस गांव के कोने में
एक पुराना घर था।
दूर गांव के कोने में
जो पुराना घर था
उस घर में एक आंगन था
आंगन में एक पेड़ था।
दूर घर के आंगन में
एक पेड़ की एक डाल पे
एक गौरय्या रहती थी।
उस गौरय्या ने
एक घोंसला बनाया था
घोंसले में उसके नन्हे मुन्ने बच्चे थे।
आंगन के पेड़ की डाल पे
गौरय्या के घोंसले में
बच्चे दिन भर खेलते थे
खूब शोर मचाते थे।
गौरय्या के बच्चे
खेलते कूदते बड़े हुए
और फिर वो उड़ गए।
नदिया अब भी बहती है
इक कहानी कहती है।
उस कहानी में अब भी
दूर नदी के तट पर
एक सूना सा गांव है
उस गांव के कोने में
एक वीराने घर के
सुनसान आंगन में
एक पुराने पेड़ की
डाल पे एक खाली सा
गौरय्या का घोंसला है।