तुम्हीं कहो जो हमारी कहानी है
क्या अब भी सबसे छुपानी है
दुनिया को जला ना डाले कहीं
तेरी आँख में जो इक बूँद पानी है
मैं उसको ख़ुदा भी मान लूँ मगर
कोई कहे उसने कब मेरी मानी है
जिस कहानी को मैं भूल चुका था
उसकी जिद्द है वही दोहरानी है
वस्ल की घड़ी मिली भी तो दो घड़ी
औ’ उम्र-ए-फ़िराक़ सदियों पुरानी है