हम दोनों

इक सदी से प्यासी धरती की आरज़ू हम दोनों
गंगा जमुना सरस्वती और सरजू हम दोनों

जेठ की गर्म दुपहरी में चलती हुई लू हम दोनों
पहली पहली बारिश का महका जादू हम दोनों

दूर चमकती कहकशां में हर-सू हम दोनों
चांद, सितारे, कंदीलें, दीपक, जुगनू हम दोनों

वीराने जंगल में फिरते आखिरी आहू हम दोनों
सावन में पीले सरसों की मादक खुशबू हम दोनों

मुस्कान, गुस्सा, खामोशी, दर्द, आंसू हम दोनों
कोमल दिल, मज़बूत कांधे, सख़्त बाज़ू हम दोनों

Subscribe to Blog via Email

Receive notifications of new posts by email.

Leave a comment

%d bloggers like this: