हों ना जाएं अश्क बेज़ार हमें रोने दे
थोड़ी देर सही सरे बाज़ार हमें रोने दे
खिलखिलाएंगे तेरे संग और कभी
अभी तो तन्हा तन्हा यार हमें रोने दे
कुछ दर्द हैं जो खुद से भी छुपाने हैं
कर लेने दे ज़रा सिंगार हमें रोने दे
लुत्फ़ बरसात का कहां पतझड़ में
चली ना जाए कहीं बहार हमें रोने दे
तुझे कसम इन मुस्कुराते लबों की
और आ जायेगा निखार हमें रोने दे
जिस को सुन के दिल रौशन हो उठे
छेड़ उसी ग़ज़ल के तार हमें रोने दे