तन्हा रातों में चांदनी की तरह
वो साथ है मेरे खुशी की तरह
कहीं भी जाऊं साथ होती है मेरे
याद उसकी रौशनी की तरह
चाह कर भी छोड़ ना पाया उसे
थी आदत वो मयकशी की तरह
मैं एक बेसुरा उदास गीत ठहरा
वो थी किसी रागिनी की तरह
पी गया हर ज़ख्म जो तूने दिया
था ज़ब्त किसी नदी की तरह
मुझे यकीं है तेरे हर वादे पर
इक काफ़िर की बंदगी की तरह
लगता है डर आईनों से मुझे
मिलूं खुद से अजनबी की तरह