गम जहां के भूल जाऊं, जी चाहता है
बच्चों की तरह मुस्काऊं, जी चाहता है
पी के आंखों के समंदर को मैं अपने
खूब हंसू, खिलखिलाऊं, जी चाहता है
आज फिर बाहों में लेके उस हसीं को
जी महफ़िल का जलाऊं, जी चाहता है
गुम रहा अपने ख्यालों में मैं बरसों
जी किसी का बहलाऊँ, जी चाहता है
आने वाली नस्लें भी करें याद मुझको
पेड़ फलों के लगाऊं, जी चाहता है