गई रूतों का मलाल क्या, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
ये ज़िंदगी से सवाल क्या, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
सदियों पले जो ख़्वाब, पल में टूट गए तो यूं
खुद को भी समझा लिया, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
गए साल की कुछ तारीखें, हैं दीवार पे टंगी हुई
कहती हैं मुझसे बारहा, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
कुछ ख्वाहिशें, कुछ चाहतें, हसरतें और कोशिशें
मायूस वक्त कर गया, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
आज बैठ तन्हा उदास, खुद को मैं समझा रहा
नसीब से अब गिला क्या, जो गुज़र गया वो गुज़र गया
बातें थीं कहने सुनने की, कुछ हुईं, कुछ नहीं हुईं
क्या किया, क्या न किया, जो गुज़र गया वो गुज़र गया