एक लम्स से गुज़ारा कर लिया
तेरे ग़म को ही सहारा कर लिया
तुम्हारे होंठों से चुराया इक बोसा
अपने होंठों को शरारा कर लिया
तुम्हारी आँखों में ख़ुद को देखा
और जन्नत का नज़ारा कर लिया
आज फिर तेरी ख़ुशबू के सहारे मैंने
ख़ैर-मक़्दम-ए-बहारा कर लिया
दिल के बदले एक जहान लिया
या‘नी इस में भी ख़सारा कर लिया
इतनी रास आई शिकस्तगी-ए-दिल
हमने ये काम दुबारा कर लिया