शोर से भरी है दुनिया, सो खामोश हूं मैं
होगा बेहतर चुप रहना, सो खामोश हूं मैं
लफ्ज़ बिक रहे हैं हर मोड़, हर गली में
मोल भाव नहीं करना, सो खामोश हूं मैं
इतना रोया हूं कि मेरी आवाज़ बैठ गई
अब जो मुझे है हंसना, सो खामोश हूं मैं
तुझसे नाराज़ नहीं मैं, मगर ये भी सच है
मुझे लगाव नहीं उतना, सो खामोश हूं मैं
हाल पूछा है तुमने तो बताना है जरूरी
महंगा है सच कहना, सो खामोश हूं मैं