कैसी अजीब ख़्वाहिशें …
तुम आओ मिलने
मगर दूर ही बैठो मुझसे
चाय की चुस्कियाँ लेते हुए
देखो मेरी तरफ़
कुछ ऐसे
कि मैं…
प्याला बन जाऊँ
और फिर दिन भर
तुम्हारे होंठों की
तपिश से सुलगता रहूँ
कैसी अजीब ख़्वाहिशें …
तुम आओ मिलने
मगर दूर ही बैठो मुझसे
चाय की चुस्कियाँ लेते हुए
देखो मेरी तरफ़
कुछ ऐसे
कि मैं…
प्याला बन जाऊँ
और फिर दिन भर
तुम्हारे होंठों की
तपिश से सुलगता रहूँ