कोई वादे से पलट गया क्या

यक़ीं का धुआँ छँट गया क्या
कोई वादे से पलट गया क्या

जिसकी ईंट-ईंट जोड़ी थी मैंने
वो घर बच्चों में बँट गया क्या

मेरे क़दम फिर लड़खड़ाए क्यूँ
कोई रस्ते से हट गया क्या

दिल-ए-बेक़रार आज सुकून से है
उसका आँचल सिमट गया क्या

ये क़िस्सा अंजाम तक पहुँचा कैसे
कहते-कहते ज़रा घट गया क्या

 

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