कोई

है ये उम्मीद कि लौटेगा कोई
मुझे ख़ुद से बचा लेगा कोई

फिर इक ख़्वाब ने करवट ली है
तो रात आँखों में काटेगा कोई

सब खड़े है बांधे हुए हाथ यूँ
उठेगा अभी, मुस्कुराएगा कोई

बादल फिर लौटेंगे बिन बरसे
सूखे खेत फिर जोतेगा कोई

दुनिया फ़तह करके आएगा और
अपने बच्चों से हारेगा कोई

मुझ को क़त्ल करेगा “ओझल”
मुझे क़ातिल ठहराएगा कोई

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