देखो तो मीठा फव्वारा लगता है
ज़ुबां कहती है ये खारा लगता है
नाम ले प्यार से कोई किसी का
तुमने जैसे हमें पुकारा लगता है
इस दिल की फितरत है यारों ऐसी
जो मिले खुल के हमारा लगता है
दिन भर गूंजे है शहर ये कानों में
शाम ढले सन्नाटा प्यारा लगता है
मैं भी हूं कुछ टूटा टूटा अंदर से
वो भी कुछ हारा हारा लगता है
तेरा ग़म दे कर है पाया मैंने तुझको
इस सौदे में क्यूं ख़सारा लगता है