लो एक और दिन बीत गया
कई काम थे जो करने थे
कई लोगों से मिलना था
कुछ से मैं नहीं मिला
कुछ मुझसे नहीं मिले
लो फिर एक दिन बीत गया
बहुत सी चीजें समेटनी थीं
कुछ अन्ततः फैली ही रह गयीं
कुछ बेचना था
कुछ खरीदना था
कुछ बिका नहीं
कुछ मिला नहीं
आज फिर एक और दिन बीत गया
दुनिया चलती रही
अनवरत अविरल
मैं ठिठका रहा
खुद को सहेजता रहा
कुछ सोचता रहा
दिन भर खर्च होता रहा
लो आज का दिन भी बीत गया
तुमको देखे बिना
तुमको सोचे बिना
तुम्हारी गंध से दूर रहा
तुम्हारी याद भी आयी नहीं
लो, आज एक और दिन…