उसकी बातें अब ना सुनाओ लोगों
मेरे जी को और ना जलाओ लोगों
मैं तो कब का भूल चुका हूं उसको
तुम भी किस्से को भूल जाओ लोगों
हमारे ज़माने में भी कई सिकंदर थे
अपने ताज पे यूं ना इतराओ लोगों
हर साथ चलने वाला हमसफ़र नहीं
काश तुम भी ये समझ पाओ लोगों
जो ज़ख्म मिले हैं उन्हें नेमतें मानो
थोड़ी देर को सही, मुस्कुराओ लोगों
हाथ बढ़ा ना सको तो कम अस कम
किसी को धक्का तो ना लगाओ लोगों
माना बहुत से छेद हैं मेरी छतरी में
तुम छींटों से कपड़े बचाओ लोगों