लोगों

बात बात में यूं ही न बात बढ़ाओ लोगों
जो खफ़ा हो उसकी भी खैर मनाओ लोगों

रहे दुश्मन ज़माना, रहो अटल उसूलों पर
करो दोस्ती तो दोस्तों पर जाँ लुटाओ लोगों

तुम हो आईना, फिर किस खौफ़ से चुप हो
गर राजा है नंगा तो सबको बताओ लोगों

मुहब्बत एकतरफा हो तो भी मुहब्बत है
करो तो फिर शिद्दत से इसे निभाओ लोगों

तुम्हारी पुकार पर कोई अब आए न आए
मत रुको, अकेले ही कदम बढ़ाओ लोगों

सावन में गुलशन का मज़ा लूटा बहुत तुमने
अब बारी है तुम्हारी इक पेड़ लगाओ लोगों

कहते फिरते हो आए हो गंगा किनारे से
लगी है आग दुनिया में इसे बुझाओ लोगों

इस शहर में महव-ए-ख़्वाब है हर शख्स
बजा नगाड़े सबको आज जगाओ लोगों

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