यूँ गुमनाम रास्तों में घर मत करो
लौट जाओ, और सफ़र मत करो
उम्र गुज़ार लो रौशनी के महल में
मेरे साथ अंधेरों में बसर मत करो
ये गाँव सारे खुद में ही मुकम्मल हैं
इन्हें बख्श दो, अब नगर मत करो
ये प्यार वफ़ा सब सराब हैं मान लो
इनके बीच बर्बाद ये उमर मत करो
रहने दो ये छोटी सी चीज़ हमारे पास
हमारे दिल को इधर उधर मत करो
जा रहे हो तो फेर लो आंखें अपनी
भूले से भी मेरी ओर नज़र मत करो