मेरे शहर के लोग

एक दूजे से अनजान लोग
मेरे शहर के नादान लोग

दो पल की ज़िंदगी है मगर
जीते जैसे जाविदान लोग

वक़्त लुटाते हैं बस यूँ ही
जुटाते बहुत सामान लोग

ख़ुद को ही धोखा दे रहे हैं
जाने कितने बेईमान लोग

नसीहतें बाँटते फिरते हैं
सच्चाई से अनजान लोग

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