यक़ीं मानो बहुत बे-मज़ा है मियाँ ये मिलना
जैसे बर्फ़ीले मौसम में सर्द हवा से मिलना
दिल की बात दिल तक आख़िर पहुँच जाती है
जब मिल रहे हो तो शिकवे मिटा के मिलना
दिल किसी का बेवजह बुझा ना दें कराहें
मिलो किसी से भी तो मुस्कुरा के मिलना
वो सलीब कांधों पे उठाए था इस आराम से
जैसे नसीब में हो उसका ईसा से मिलना
आँखों में आज फिर ये दरिया की रवानी है
आज तय है किसी ख़ुश-आश्ना से मिलना