तुम…
चार कदम चले
चौखट तक पहुंचे
ज़रा सा ठिठके
फिर लौट गए.
और मैं…
मूक, मायूस
भरी आँखें लिए
खाली हाथ फैलाये
तुम्हारी राह देखता रहा.
तुम…
चार कदम चले
चौखट तक पहुंचे
ज़रा सा ठिठके
फिर लौट गए.
और मैं…
मूक, मायूस
भरी आँखें लिए
खाली हाथ फैलाये
तुम्हारी राह देखता रहा.