नाम तुम्हारा

बिस्तर की सिलवट नाम लेती हैं तुम्हारा
मेरी हर बेचैन करवट नाम लेती है तुम्हारा

मालूम है तुम अब ना आओगे लौट के
रात गए हर आहट नाम लेती है तुम्हारा

आईना ख़ूबसूरत सा लगने लगा है मुझे
हरेक मुस्कुराहट नाम लेती है तुम्हारा

मेरी रातें रोशन हैं तो तुम्हारे ही नाम से
तारों की जगमगाहट नाम लेती है तुम्हारा

 

Subscribe to Blog via Email

Receive notifications of new posts by email.

Leave a comment

%d bloggers like this: