यूं कदम कदम पर संभलने से नहीं होगा
ये इश्क है मियां! ऐसे डरने से नहीं होगा
चाहते हो बेहतर दुनिया तो बदलो खुद को
ये काम सिर्फ़ दुनिया बदलने से नहीं होगा
ज़रा पहचान रास्तों की भी ज़रूरी है लोगों
हासिल-ए-मंज़िल यूं ही चलने से नहीं होगा
मज़ा तो तब है कि जहां को रौशनी मिले
और तो कुछ हमारे जलने से नहीं होगा
जब मुझसे ख़फ़ा हैं मेरे अपने ही ‘ओझल’
मैं जानता हूं फ़ायदा सुधरने से नहीं होगा