नए ख़्वाब इन आंखों में अब सजाने तो दे
ये चिराग आखिरी भी मुझे बुझाने तो दे
मैं शिकायत भी करूं तो किससे आखिर
तू किसी तौर लफ्जों को मचल जाने तो दे
बाद तेरे तेरी उम्मीद भी जाती ही रहेगी
झूठे वादे ही सही दिल को बहलाने तो दे
अब कुछ और न मांगेगा ये दीवाना तेरा
प्यासे होठों को इक बोसा इसी बहाने तो दे
है कसम तुझको तेरी झील सी आंखों की
अपनी बाहों में फिर से बहक जाने तो दे
मुझे पता है मदद को उठेंगे हाथ कई
मेरी कश्ती को नाखुदा, डूब जाने तो दे