नदी और रास्ता

पहाड़ी इलाकों में चलते चलते
मिल गई मुझे एक नदी
छुपी हुई ऐसे कहीं
जहां कोई आता जाता नहीं
टीलों पर कूदती, अठखेलियाँ करती
जाने कितनी सदियों से बहती हुई
एक नदी मिली मुझे।

नदी में नहा, खूब खुश हुआ
बहुत देर बैठा रहा किनारे
सुनता रहा खामोशियाँ
फिर चल दिया।

लौटते में ज़रा सा भटक गया
देर तक परेशान हुआ।
छा रहा था अंधेरा
लग रहा था डर
तभी बीच झुरमुटों के दिखा
एक पुराना, खोया हुआ रास्ता।

देख रास्ता
मैं और खुश हुआ
थोड़ी ही देर में आ पहुंचा
एक जानी पहचानी डगर पर।

रात सोचता रहा देर तक
बरसों किसी के नहीं गुजरने से
शायद मरने लगते हैं रास्ते
मगर सदियों कोई न देखे
तो भी बहती रहती है नदी
तो मैं…
नदी हूं या रास्ता?

कहानी

मैं अपनी जिंदगी की सबसे खूबसूरत कहानी लिख रहा हूं।

जानते हो खूबसूरत कहानियां कौन सी होती हैं?

वह नहीं जिनमें सब कुछ अच्छा होता है।
वह तो बोरिंग होती हैं।
अगर सब अच्छा ही होगा तो पढ़ना क्यों।

वह भी नहीं जिन में सब कुछ टूट के बिखर जाता है।
वह तो ट्रेजेडी होती हैं।
ट्रेजेडी लुभाती तो है, खूबसूरत नहीं होती।

सबसे खूबसूरत कहानियां होती है वह
जिन में चुनौतियां होती हैं
दर्द होता है, हँसी होती है
प्रेम होता है, डर होता है
लेकिन सबसे ज़्यादा होती है
उम्मीद।

सबसे खूबसूरत कहानियां
हमें उम्मीद की तरफ़ ले जाती हैं।
हमारे अंदर उम्मीद जगाती हैं।

उम्मीद घातक होती है।
मैं अपने जीवन की सबसे घातक कहानी लिख रहा हूं।

लात मार

ऊंची पायदान पर पहुंच कर अगले को लात मार
बहुत लात खाई अब तक अब दूजे को लात मार

खड़ा है दूसरी सफ़ में नाइंसाफी हुई है तेरे साथ
और कुछ न कर सके तू तो पहले को लात मार

खामुशी

दूरियां जब बढ़ती हैं तो बढ़ जाती है खामुशी
फिर उन फासलों को और बढ़ाती है खामुशी

शोर भरी इस दुनिया में सुनाई देगा और क्या
हां! अगर चुप बैठो तो सब सुनाती है खामुशी

टूटे दिल को जोड़ने की तरकीबें सब व्यर्थ हुईं
साथ बैठो और सुनो, क्या बताती है खामुशी

दिन के कोलाहल से घबरा जाता है दिल मेरा
रात की तन्हाइयों में शोर मचाती है खामुशी

खामुशी से घबरा के खामुशी तक आता हूं
थपकियां देदे कर मुझको सुलाती है खामुशी

हमारे तबस्सुम से गुलज़ार हैं महफ़िलें मगर
सच पूछो तो हमको बहुत सताती है खामुशी

मत करो

यूँ गुमनाम रास्तों में घर मत करो
लौट जाओ, और सफ़र मत करो

उम्र गुज़ार लो रौशनी के महल में
मेरे साथ अंधेरों में बसर मत करो

ये गाँव सारे खुद में ही मुकम्मल हैं
इन्हें बख्श दो, अब नगर मत करो

ये प्यार वफ़ा सब सराब हैं मान लो
इनके बीच बर्बाद ये उमर मत करो

रहने दो ये छोटी सी चीज़ हमारे पास
हमारे दिल को इधर उधर मत करो

जा रहे हो तो फेर लो आंखें अपनी
भूले से भी मेरी ओर नज़र मत करो