आज की चाय
वैसी ही बनी है
उतना ही दूध,
पत्ती और पानी भी वही है।
मगर फिर भी
स्वाद कुछ अलग सा है
या शायद मेरी
ज़ुबाँ ही फीकी है।
सच तो ये है
बात बस इतनी सी है
आज फिर
तुम्हारी कमी सी है।
आज की चाय
वैसी ही बनी है
उतना ही दूध,
पत्ती और पानी भी वही है।
मगर फिर भी
स्वाद कुछ अलग सा है
या शायद मेरी
ज़ुबाँ ही फीकी है।
सच तो ये है
बात बस इतनी सी है
आज फिर
तुम्हारी कमी सी है।