इक दिल तड़पता रहा रात भर
इक दर्द का दरिया बहा रात भर
इक हूक सी उठती रही सीने में
इक अनजान सा नगमा रात भर
इक फांस सीने से नहीं निकली
इक ज़ख्म रिसता रहा रात भर
इक आस टूट के भी साथ रही
इक ख्वाब आंखों में रहा रात भर
इक चेहरा रौशन रहा आंखों में
इक याद जो सहारा था रात भर
इक रात जो उम्र से तवील रही
इक लम्हा जो ना कटा रात भर