जाने तुम किस गाँव सिधारे, सच बोलो
कब तक राह तकें तुम्हारे, सच बोलो
इक आस बंधी है जाने क्यूँ अब भी जी में
लिक्खो क्या अब भी हो हमारे, सच बोलो
चप्पू डूबे, पाल टूटी, नाविक धोखेबाज़
अब नैया लगेगी कौन किनारे, सच बोलो
तुम निर्मोही, तुम बेग़ैरत, तुम निठुर हो जी
हम ज़िद्दी बैठे तुम्हरे दुवारे, सच बोलो
नज़रें चुराते हो, बहाने बनाते हो, सच मानो
सच में बहुत ताक़त है प्यारे, सच बोलो