समंदर

है मेरे अंदर जो ये अथाह समंदर
कर देगा सब कुछ तबाह समंदर

तेरी आंखों में जो दरिया हैं तो हों
मेरी सांसों का है मल्लाह समंदर

उतरो जो इसमें तो देख कर उतरो
कर दे ना तुमको गुमराह समंदर

मैं ढूंढ़ता फिरता हूं रौशनी के कतरे
किस्मत में है मेरी सियाह समंदर

भाग रहा हूं मैं हार के इस जहां से
शायद मुझे देगा अब पनाह समंदर

इक सदी से मैं खुद से जूझ रहा हूं
नाकामियों का मेरी गवाह समंदर

 

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