अपने सवालों के गर सच्चे जवाब चाहिए
खड़े होके सरे-आईना अपने आप से पूछो
मेरा मेयार शोहरत-ओ-सीरत से मत जानो
मेरी वफ़ा से, मेरी दोस्ती के नाप से पूछो
आशिकी की और पहचान भला क्या होगी
पूछो तो आतिश-ए-इश्क़ के ताप से पूछो
शहर में दंगे-फ़साद से जलता है कौन
बुझे चेहरों से, घरों से उठती भाप से पूछो
मायूसी क्या होती है, दर्द की इन्तेहा क्या है
औलाद को दफनाते हुए बाप से पूछो