शोर है बारिश का बाहर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
तड़प रहा हूँ मैं अंदर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
कहना चाह रहा था मैं बहुत दिनों से कुछ तुमसे
चैन नहीं आता मुझे, पर तुम सो जाओ मेरी जाँ
तुम्हें क्या दिल किसी का क्यूँ बेचैन रहा करता है
छोड़ो बेकार के चक्कर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
जागोगे तो देर तक कोई दुखड़ा रोता रहेगा
ढाँप के मुँह पे चादर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
मैं हैरान, वो परेशान, ये ग़मज़दा, वो मुफ़लिस
सबका अपना मुक़द्दर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
इस दुनिया का काम है जलना, ये कुछ तो कहेगी
तुम क्यूँ होते हो मुज़्तर, तुम सो जाओ मेरी जाँ
*मुज़्तर = restless