“ये ऑफिस नहीं आने पे
जो रोज़ के १-२ घंटे बच रहे हैं
उन में आप लोग थोड़ा एक्स्ट्रा काम
तो कर ही सकते हैं ना?”
ऐसा कह कर बॉस ने कॉल काट दिया।
और मैं इसी सोच में डूबा हुआ हूं
कि जब रोज़ के दो घंटे बचते हैं
तो मेरे पास बच्चों के लिए
अब
ज़रा सा भी वक़्त
क्यूं नहीं होता?