याद है तुमको?
मैंने शरारत में कुछ कहा था तुम्हारे कानों में
और तुमने मेरे होठों पे अपने हाथ रख दिए थे
आज भी तुम्हारा ज़ायका तारी है मेरी जुबां पर
याद है तुमको?
मैंने जब पहली बार तुम्हारा हाथ पकड़ा था
और तुमने अपनी उंगलियां मेरी उंगलियों में पिरो दी थीं
आज भी सोच में डूबे हुए अक्सर मेरे हाथ बंध जाते हैं
याद है तुमको?
कभी मैंने अपना सर तुम्हारी गोद में रखा था
और तुमने मेरे बालों को संवारते हुए खींच लिया था
आज भी मेरे बाल जब तब उलझ जाया करते हैं
याद है तुमको?
तुमने कभी कहा था
आंसुओं से चेहरों में दरारें हो जाती हैं
और मैं रोते से अनायास हंस पड़ा था
आज भी अक्सर मुस्कुराते वक़्त मेरी आंखें भीग जाया करती हैं
याद है तुमको?
जब आखिरी बार विदा लेते हुए
मैंने तुमसे हाथ मिलाया था
और जवाब में तुम मेरे गले लग गए थे
आज मैं मौके बेमौके सबके गले लग जाता हूं
याद है तुमको?
मुझे तो सब याद है…