हर लम्हा खिलखिलाता रहे, यारों दुआ करो
उसे किसी की नज़र न लगे, यारों दुआ करो
मैंने माना वो मेरा हमराह नहीं अब मगर
थोड़ी दूर मेरे साथ तो चले, यारों दुआ करो
जो दर पे मेरे कांटे बिखेर गया, उसकी
राहों में गुल ही गुल खिलेंं, यारों दुआ करो
रख दिया है अपना हाथ मेरे हाथ में उसने
ये हाथ अब ताउम्र ना छूटे, यारों दुआ करो
बसते जाते हैं शहर, हुए जाते हैं जंगल गुम
कोई शजर ना बेवजह कटे, यारों दुआ करो
जिस तरह इक शाम हुआ था जुदा मुझसे
यकायक कहीं वो आ मिले, यारों दुआ करो
मेरे हाल पे हंसने वालों में शरीक थे तुम भी
कभी कोई तुम पे ना हंसे, यारों दुआ करो