ये वक्त
जो तुम्हारे लिए
नए हसीन सपने बुन रहा है
धीमे धीमे तुम्हारे आज को
कल में बदल रहा है
इस पर एतबार न करना
ये छलिया तुम्हें
फिर उसी पुराने अंदाज़ से छल रहा है
ये वक्त
जो तुम्हारी नसों में पल रहा है
तुम्हारी धमनियों में बह रहा है
इस पर मान ना करना
ये पल पल रिसता हुआ
तुमसे होता हुआ गुज़र रहा है
तुम्हें इस्तेमाल कर रहा है
ये वक्त
जिसकी चाप सुन रहे हो तुम
जिसकी आगोश में जकड़े हो तुम
आज कहता है तुमसे
मैं खुद नहीं बीत रहा
मुझमें पल पल, कण कण बीत रहे हो तुम