यूँ ही दिल बहलाते जाते
झूठा यक़ीं दिलाते जाते
मुस्कुराते आँखों से और
सारे दीपक बुझाते जाते
मुझको फिर बहकाते जाते
सोयी उम्मीदें जगाते जाते
गुज़रते जब पास से तुम
मेरी ज़ुल्फ़ें सहलाते जाते
राज-ए-इश्क़ बताते जाते
दरिया-ए-अश्क़ बहाते जाते
टूटे दिल को सियूँ मैं कैसे
मुझको ये समझाते जाते
मुहब्बत भले छुपाते जाते
लेकिन फिर भी जाते जाते
भूली हुई ग़ज़ल मेरी कोई
मुझे ही फिर सुनाते जाते