अगर…

अगर तुमने इक रोते बच्चे को बहलाया, फुसलाया है
कभी किसी टूटे दिल को अपने गले से लगाया है
अगर कभी किसी के तुमने पोंछे हैं बहते आंसू
अगर कभी किसी महफ़िल को ठहाकों से गुंजाया है
राह में किसी को पड़ा देख रोके हैं कदम तुमने
कभी किसी अनजान की अर्थी को दिया है कांधा
कभी किसी के गीत में तुमने सुर अपना मिलाया है
मेरे यार! यकीं मानो, तुमको जीना आया है।

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