मुझे एक अलग पहचान चाहिए
पंख ना सही मगर उड़ान चाहिए
नींद के लिए बिस्तर नहीं काफ़ी
बदन को थोड़ी सी थकान चाहिए
मेरी ज़िन्दगी मुकम्मल है उससे
जाने क्यूं उसे इक जहान चाहिए
हर खुशी बगावत है तुम्हारे लिए
हर शख्स तुम्हें परेशान चाहिए
आवाज़ें उठने लगी हैं खिलाफ़ बहुत
आज एक जंग का ऐलान चाहिए
बड़े सूरमा बने फिरते थे “ओझल”
आज चुप हो जब बयान चाहिए